
पौष पुत्रदा एकादशी, जो उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाई जाती है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु के अनुयायी वैष्णवों द्वारा विशेष आदर और भक्ति के साथ मनाया जाता है। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत उन सभी विवाहित महिलाओं और पुरुषों को रखना चाहिए, जिनको कोई संतान नहीं है, क्योंकि मान्यता है कि इससे वंश का विस्तार होता है।
Paush Putrada Ekadashi 2024: हिन्दू धर्म में इसे महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। पौष पुत्रदा एकादशी साल के दिसंबर-जनवरी महीने में आती है। इस व्रत के प्रताप से संतान पाने की मनोकामना पूरी होती है और इससे संकट भी दूर होते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी 2024 की सही तिथि और मुहूर्त:
- पौष शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ: 20 जनवरी 2024, सायं 07:27 मिनट से
- पौष शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त: 21 जनवरी 2023, सायं 07:28 मिनट पर
- एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय से प्रारम्भ होता है, इसलिए उदयातिथि के अनुसार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
- भगवान विष्णु की पूजा का समय: सुबह 08:34 से दोपहर 12:32 तक
- पौष पुत्रदा एकादशी पारण समय: 22 जनवरी प्रातः 07:14 से प्रातः 09:21
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व: ‘पुत्रदा’ शब्द का अर्थ है ‘पुत्रों का दाता’, और और इस एकादशी को “पौष पुत्रदा एकादशी” के नाम से जाना जाता है यानि संतान देने वाली एकादशी। प्रत्येक वर्ष में दो बार पुत्रदा एकादशियां आती हैं, पहली पौष माह में और दूसरी श्रावण माह में। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करने वाले सभी भक्तों को सुख-समृद्धि और मनोवांछित इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है | दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में, पौष पुत्रदा एकदशी को ‘वैकुंठ एकदशी’, ‘स्वर्गवथिल एकदशी’ या ‘मुक्कोटि एकदशी’ के रूप में मनाया जाता है।